यादगार सफर की दिलचस्प कहानी
शुक्रवार रात का समय था, और हम पूरे उत्साह में थे! रात 8 बजे हम गुरुग्राम के अपने घर से मेट्रो के लिए निकले। MG मेट्रो(MG Road) में सवार होते ही सफर का असली मजा शुरू हो गया। रास्ते में बच्चों ने मस्ती की और मोमोज खाकर अपने पेट पूजा का भी इंतजाम कर लिया। हर स्टेशन पर रुकते हुए, हम उस रात के एडवेंचर के बारे में ही बातें कर रहे थे – अबकी बार सफर का रंग कुछ और ही होने वाला था!
(Kashmeri Gate) पर मेट्रो से उतरकर हम अपने बस स्टॉप के लिए निकले, जहां से हमारी रात 11 बजे की रेड बस का इंतजार था। सेमी-स्लीपर बस की सीट पर बैठते ही सफर और भी आरामदायक लगने लगा। खिड़की से बाहर झांकते हुए ठंडी हवा और रात का सन्नाटा हमारी कहानी का हिस्सा बन रहा था। बच्चों को नींद तो आने का सवाल ही नहीं था, क्योंकि उनके लिए ये एडवेंचर शुरू हो चुका था!
हरिद्वार की सर्द सुबह
सुबह 5 बजे हम हरिद्वार पहुंचे। जैसे ही बस से उतरे, ठंडी हवा ने हमें गले से लगा लिया – “हाय, कितनी ठंड है!” हमने अपने जैकेट कसकर पहने और आगे का प्लान बनाया। 10 रुपये प्रति व्यक्ति में एक ऑटो किया, जो हमें हर की पौड़ी के पास उतारने वाला था। ऑटो वाले भैया ने हमें 500 मीटर पहले ही उतार दिया, और वहां से हमने पैदल चलने का फैसला किया।
हर की पौड़ी की ओर बढ़ते हुए माहौल ही अलग था – हल्की ठंड, गंगा किनारे से आती ठंडी बयार, और सुबह की हलचल ने हमें तरोताजा कर दिया। वहां पहुंचकर सबसे पहले “गंगा माता की जय!” का जयकारा लगाया और मन में एक शांति सी महसूस हुई। बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
गंगा स्नान और ठंड में मस्ती
हमने बैग रखने के लिए एक पॉलिथीन बिछाई और सबसे पहले बच्चों को नहलाने की योजना बनाई। हृद्यांश और गौरवी दोनों पहले थोड़ा डरे, लेकिन जैसे ही ठंडे पानी का मजा आया, डर कहां गायब हो गया, पता ही नहीं चला!
हृद्यांश अपने पापा के साथ पानी में उछल-कूद कर रहा था। जब उसने अपनी पहली डुबकी लगाई, तो ठंड का एहसास भूलकर उसने मस्ती का नया ही स्तर छू लिया। पास खड़े एक भैया ने मदद की पेशकश की और कहा, “भाईसाहब, मैं पकड़ लूं बच्चा, आप नहला लीजिए!” तो पापा और वो भैया दोनों ने मिलकर हृद्यांश को नहलाया और खूब मजे किए।
अब बारी थी गौरवी की। वो अपने पापा की गोद में चढ़ी रही, लेकिन आखिरकार हिम्मत जुटाकर उसने भी ठंडे पानी में एंट्री की। पापा ने उसे अच्छे से नहलाया और फिर उसे जल्दी से कपड़े पहनाकर ठंड से बचाया।
अब मेरी बारी थी! मैंने बच्चों को बैग के पास बैठाया और गंगा में डुबकी लगाने चली गई। ठंड तो बहुत थी, लेकिन पानी की ठंडक में एक अलग ही मजा था। जैसे ही डुबकी लगाई, मन में शांति और खुशी दोनों का एहसास हुआ। मेरा हाथ थामकर मेरे पति ने भी मेरे साथ डुबकियां लगाईं, और हम दोनों ने गंगा में स्नान का भरपूर आनंद लिया।
तभी एक कैमरा मैन आया और बोला, “मैडम, फोटो खींच लूं? सिर्फ 50 रुपये में।” हमने हंसते हुए हां कहा, और उसने कई अच्छे पोज़ में हमारी तस्वीरें खींची।
माता रानी की विदाई और आगे का प्लान
अब वक्त था उस वजह को पूरा करने का, जिसके लिए हम हरिद्वार आए थे। पिछले नवरात्रि में हमने माता रानी को अपने मंदिर में लाने का वचन दिया था और अब उन्हें विदा करने का समय था। हर की पौड़ी पर बैठे एक पंडित जी से हमने माता रानी की विदाई की रस्म पूरी करवाई। मन में शांति और संतोष था, क्योंकि हमने अपना वादा निभाया था।
सुबह के 8:30-9:00 बज चुके थे, और अब हम आगे की यात्रा की योजना बना रहे थे। हरिद्वार आए हैं, तो मनसा देवी और चंडी देवी के दर्शन कैसे छोड़ सकते हैं? दर्शन करने के बाद हम ऋषिकेश की ओर निकलने वाले थे।
ऋषिकेश की ओर: लक्ष्मण झूला, राम झूला और नीलकंठ के सपने
हमने तय किया कि दर्शन के बाद ऋषिकेश चलेंगे, जहां लक्ष्मण झूला, राम झूला और जानकी झूला हमारा इंतजार कर रहे थे। वहां से नीलकंठ महादेव के दर्शन का भी प्लान था।
अगले सफर का रोमांच
हमारी यात्रा का ये हिस्सा यहीं खत्म हुआ, लेकिन सफर अभी बाकी है। अगले आर्टिकल में आपको बताएंगे कि मनसा देवी और चंडी देवी के दर्शन और हरिद्वार से ऋषिकेश तक का सफर कैसा रहा, कौन-कौन सी जगहें देखीं, और कुल खर्च क्या आया। उम्मीद है आपको हमारी ये यात्रा की कहानी पसंद आई होगी!
अगर आप भी ऐसी यात्रा प्लान कर रहे हैं, तो बस बुकिंग, किराया, और जरूरी बातें जानने के लिए हमारे अगले आर्टिकल का इंतजार करें। कोई सवाल हो, तो कमेंट बॉक्स में पूछें, हम जरूर जवाब देंगे!
खर्च का संक्षिप्त विवरण
- मेट्रो का किराया: ₹50 प्रति व्यक्ति
- रेड बस से गुरुग्राम से हरिद्वार: ₹800-1200 प्रति व्यक्ति
- ऑटो का किराया (हरिद्वार): ₹10 प्रति व्यक्ति
- फोटो खिंचवाने का खर्च: ₹50 प्रति फोटो
Stay tuned! अगले हिस्से में मिलते हैं, जहां हम आपको मनसा देवी और चंडी देवी और ऋषिकेश की कहानियां सुनाएंगे और बताएंगे कि कैसे हमने नीलकंठ महादेव के दर्शन किए।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, ये थी हमारी गुरुग्राम से हरिद्वार की रोमांचक यात्रा। उम्मीद है आपको पढ़कर मजा आया होगा!